Poem on Mother | Hindi and English Poem
Poem on Mother | Hindi and English poem
माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है?
पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे,
टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे।
गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे,
हाथ फेर सर पे प्यार भी जताते थे।
पर ना जाने आज क्यूँ वो चुप हो गए,
लगता है की खूब गहरी नींद सो गए।
नींद से पापा उठो मुन्ना बुलाये है,
टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे।
गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे,
हाथ फेर सर पे प्यार भी जताते थे।
पर ना जाने आज क्यूँ वो चुप हो गए,
लगता है की खूब गहरी नींद सो गए।
नींद से पापा उठो मुन्ना बुलाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है?
फौजी अंकलों की भीड़ घर क्यूँ आई है,
पापा का सामान साथ में क्यूँ लाई है।
साथ में क्यूँ लाई है वो मेडलों के हार ,
आंख में आंसू क्यूँ सबके आते बार बार।
चाचा मामा दादा दादी चीखते है क्यूँ,
माँ मेरी बता वो सर को पीटते है क्यूँ।
गाँव क्यूँ शहीद पापा को बताये है,
पापा का सामान साथ में क्यूँ लाई है।
साथ में क्यूँ लाई है वो मेडलों के हार ,
आंख में आंसू क्यूँ सबके आते बार बार।
चाचा मामा दादा दादी चीखते है क्यूँ,
माँ मेरी बता वो सर को पीटते है क्यूँ।
गाँव क्यूँ शहीद पापा को बताये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है?
माँ तू क्यों है इतना रोती ये बता मुझे,
होश क्यूँ हर पल है खोती ये बता मुझे।
माथे का सिन्दूर क्यूँ है दादी पोछती,
लाल चूड़ी हाथ में क्यूँ बुआ तोडती।
काले मोतियों की माला क्यूँ उतारी है,
क्या तुझे माँ हो गया समझना भारी है।
माँ तेरा ये रूप मुझे ना सुहाये है,
होश क्यूँ हर पल है खोती ये बता मुझे।
माथे का सिन्दूर क्यूँ है दादी पोछती,
लाल चूड़ी हाथ में क्यूँ बुआ तोडती।
काले मोतियों की माला क्यूँ उतारी है,
क्या तुझे माँ हो गया समझना भारी है।
माँ तेरा ये रूप मुझे ना सुहाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है?
पापा कहाँ है जा रहे अब ये बताओ माँ,
चुपचाप से आंसू बहा के यूँ सताओ ना।
क्यूँ उनको सब उठा रहे हाथो को बांधकर,
जय हिन्द बोलते है क्यूँ कन्धों पे लादकर।
दादी खड़ी है क्यूँ भला आँचल को भींचकर,
आंसू क्यूँ बहे जा रहे है आँख मींचकर।
पापा की राह में क्यूँ फूल ये सजाये है,
चुपचाप से आंसू बहा के यूँ सताओ ना।
क्यूँ उनको सब उठा रहे हाथो को बांधकर,
जय हिन्द बोलते है क्यूँ कन्धों पे लादकर।
दादी खड़ी है क्यूँ भला आँचल को भींचकर,
आंसू क्यूँ बहे जा रहे है आँख मींचकर।
पापा की राह में क्यूँ फूल ये सजाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है?
क्यूँ लकड़ियों के बीच में पापा लिटाये है,
पापा ये दादा कह रहे तुमको जलाऊँ मैं,
बोलो भला इस आग को कैसे लगाऊं मैं।
इस आग में समा के साथ छोड़ जाओगे,
आँखों में आंसू होंगे बहुत याद आओगे।
अब आया समझ माँ ने क्यूँ आँसू बहाये थे,
पापा ये दादा कह रहे तुमको जलाऊँ मैं,
बोलो भला इस आग को कैसे लगाऊं मैं।
इस आग में समा के साथ छोड़ जाओगे,
आँखों में आंसू होंगे बहुत याद आओगे।
अब आया समझ माँ ने क्यूँ आँसू बहाये थे,
ओढ़ के तिरंगा पापा घर क्यूँ आये थे ।
Kevin Papa has come to the wings?
First, Dad, I used to say,
Tafsir also used to flourish.
Many openly standing,
Hands Ferrari also loved love.
But do not go today they are quiet,
It seems like a very sleepy sleep.
Get lost from sleep is called Munna,
Has Kevin Papa come to the wings?
The crowd of Fozi points has come home,
What's in the daddy as well.
Also, whether it is the necklace of the medals,
Why are you waiting for your eyes?
Uncle does not cry,
Mother, eat my idol that head.
Where did the village tell to Shaheed Papa,
Has Kevin Papa come to the wings?
Mother, why do you tell me so much,
Let me tell you that I'm sorry.
Keith's golden crown is grandmother,
Kiwi broke in red square.
Black beads are crowded,
It's heavy to understand what you've got a mother.
Mother, I have not heard of this,
Has Kevin Papa come to the wings?
Where is father going? Tell me now mother,
Suddenly, tears stir up.
Because of them all the bundles of the picking hands,
J Hind tells people to eat the dogs.
Grandmother is standing because,
The tear is going on, eye catcher.
Dow flowers in the father's path have decorated it,
Has Kevin Papa come to the wings?
In the middle of the cavalry,
Dad says this grandpa to burn you,
Tell me how to plant this fire.
Will leave it in the fire,
Tears in eyes will miss a lot.
Now what did the mother understand?
Oh, dad, controversy
Poem on Mother | Hindi and English Poem
Reviewed by adfewss
on
February 23, 2018
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